सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

fasle gul

ये जों एक बू ऐ यासमन सी है। सूचना उनके आगमन सी है। आमदे फासले गुल ही है शायद आजकल दिल में कुछ दुखन सी है.दिल में यादों की एक चुभन सी है। दिल में यादों की एक बस्ती है। आज दिल में कैसे कैसे यादों का एक सैलाब सा आ रहाहै। कौन है जों इस दिल को समझायेगा ?फिर अब मुझे नींद भी आने लगी है। ज़रा अपने हाथ मेरे सर के नीचे रख दो के में थोडी देर सोना चाहता हूँ। फिर कोन उठता है। वेसे भी इस दुनिया में आकर हमें कभी अच्छा नहीं लगा।